जलियांवाला बाग हत्याकांड पर आधारित फिल्म में जस्टिस शंकरन का किरदार निभाएंगे अक्षय
Bollywood: अक्षय कुमार बॉलीवुड की कई ऐतिहासिक फिल्मों का हिस्सा रहे हैं। अब उनके खाते में एक और बड़ी फिल्म जुड़ गई है। खबरों की मानें तो अक्षय जलियांवाला बाग हत्याकांड पर बन रही फिल्म में जस्टिस सी शंकरन नायर का किरदार निभा सकते हैं। हाल में मशहूर फिल्म निर्माता करण जौहर ने इस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। यह फिल्म शंकरन की जिंदगी पर आधारित है, जिसमें अक्षय शंकरन की कानूनी लड़ाई को पर्दे पर निभाते दिखेंगे।
फिल्म का टाइटल द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ सी शंकरन नायर रखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, मेकर्स शंकरन का किरदार निभाने के लिए अक्षय से बातचीत में लगे हैं। सूत्र ने कहा, इस फिल्म में वे सभी तत्व मौजूद हैं, जिनके लिए अक्षय की फिल्में जानी जाती हैं। इसलिए निश्चित रूप से फिल्म के लिए अक्षय मेकर्स की पहली पसंद है। अक्षय से इस संबंध में बातचीत हो गई है। फिलहाल पेपर वर्क किया जाना बाकी है।
सूत्र ने आगे बताया कि अक्षय को फिल्म की स्क्रिप्ट पसंद आई है। बताया जा रहा है कि फिल्म की शूटिंग के लिए समय निकालना अभिनेता के लिए बड़ी चुनौती होगी। वह अगले एक सालों के लिए अपने शेड्यूल में व्यस्त रहेंगे। सूत्र ने कहा, फिलहाल अक्षय की टीम किसी भी फिल्म को साइन करने से पहले उनकी डेट्स डायरी को चेक कर रही है। बहुत जल्द यह स्पष्ट हो जाएगा कि अक्षय फिल्म का हिस्सा बनेंगे या नहीं।
यह फिल्म वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित होगी। फिल्म का निर्देशन करण सिंह त्यागी द्वारा किया जाएगा। फिल्म को करण खुद प्रोड्यूस करेंगे। बताया गया है कि फिल्म उस अदालती लड़ाई को पेश करेगी, जो शंकरन ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारे में सच्चाई को सामने लाने के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ी थी। फिल्म शंकरन के परपोते रघु पलट और उनकी पत्नी पुष्पा पलट द्वारा लिखी गई किताब द केस दैट शूक द एंपायर पर आधारित है।
शंकरन का जन्म मलाबार के चेत्तर परिवार में 1857 में हुआ था। शंकरन एक वकील थे, जिन्होंने 1897 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था। उन्होंने 1922 में गांधी और अराजकता नामक पुस्तक भी लिखी थी। यह फिल्म जलियांवाला बाग नरसंहार की सच्चाई को उजागर करने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई उनकी अदालती लड़ाई के इर्दगिर्द घूमेगी। अक्षय शंकरन के इसी किरदार को पर्दे पर उतारते दिख सकते हैं।
जलियांवाला बाग हत्याकांड से पहले देश में रोलैक्ट एक्ट का विरोध चल रहा था। 13 अप्रैल, 1919 को हजारों लोग बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए। सभी शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे। ब्रिटिश सरकार के ब्रिगेडियर जनरल डायर को किसी ने सूचना दी कि सभी लोग रोलैक्ट एक्ट के विरोध में इक_ा हुए हैं। इसके बाद डायर ने बिना चेतावनी के लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दे दिया था। इसमें हजारों लोग मारे गए थे।
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