सत्य के स्वरुप को जाने बिना असफलता ही मिलतीः सौरभ सागर जी महाराज

देहरादून,। संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणा स्रोत, उत्तराखंड के राजकीय अतिथि आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महामुनिराज के मंगल सानिध्य में दसलक्षण पर्व के पांचवे दिन उत्तम सत्य धर्म पर भगवान् कि पूजा अर्चना की गयी। जिसमे प्रातः जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक कर शांतिधारा की गयी। शांतिधारा करने का सौभाग्य सुनील जैन को प्राप्त हुआ। पूज्य आचार्य श्री सौरभ सागर जी ने प्रवचन करते हुए कहा कि किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें उस वस्तु के सत्य के स्वरुप को समझना चाहिए। तभी हम सफलता प्राप्त कर सकते है, बिना सत्य के स्वरुप को जाने बिना हमें असफलता ही मिलती है। “चारों कषायों की निर्जरा के बाद ही हम उत्तम सत्य को प्राप्त कर सकते है।“
जिसने द्रव्य, गुण, पर्याय से वस्तु को जान लिया, वहीं अपने आत्म स्वरुप को समझता है।
अतः व्यवहार से भगवान ने सत्य के 10 स्वरुप बतायें और निश्चय से अपनी आत्मा की अनुभूति ही उत्तम सत्य धर्म है। सत्य की खोज में जाते है, असत्य मिलता है, शुद्ध की चाह में अशुद्धि की प्राप्ति होती है, चाहते सब कुछ है, माला फैरते है, सामायिक पूजा करते करते एनर्जी शक्ति चाहिए, थकान आ गई क्यों, क्योंकि हम दूसरों के लिये कर रहे थे, अपनी आत्मा के लिए नहीं किया, पर के लिए किया इसलिए ऐसा हुआ। संध्याकालीन बेला में गुरु भक्ति प्रतिक्रमण शंका समाधान एवं सौरभ सागर सेवा समिति द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया गया।
जिसमे इन्दौर से आये जैन भजन सम्राट मयूर जैन एव अस्था जैन टीकमगढ़ में भगवान की भक्ति में मधुर भजन गये। उपस्थित भक्तगणों ने भजनो पर खूब भक्ति की। मयूर जैन और अस्था जैन के द्वारा गाये गये भजनो पर उपस्थित सभी लोग झूमने पर मजबूर हो गये। जिसमें मेरे बाबा पारसनाथ भजन , गजब मेरे तिखाल वाले बाबा मेरे काले काले,बाबा मेरे तिखाल वाले , पर्यूषण पर्व आ गया जैसे सुमधुर भजनों  पर भक्तों को सराबोर किया।
कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए वीडियो कोऑर्डिनेटर मधु जैन ने बताया कि नित्य प्रतिदिन स्वयंभू चौबीसी महामंडल विधान के साथ-साथ शाम को दिगंबर जैन महासमिति के तत्वाधान में 7ः30 बजे फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *