त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन ईश्रदास महाराजः संत मक्खनदास महाराज

हरिद्वार:उत्तरी हरिद्वार की मुखिया गली स्थित ईश्वर कृपा धर्म कुटी आश्रम में संत समाज ने ब्रह्मलीन सतगुरू ईशरदास महाराज की 17वीं पुण्यतिथी पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संत मक्खनदास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन ईशरदास महाराज त्याग व तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने सदैव भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर कल्याण के मार्ग पर अग्रसर किया। उन्होंने कहा कि सभी को भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ब्रह्मलीन ईशरदास महाराज के दिखाए मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र कल्याण में योगदान करना चाहिए। संत अम्बरीक दास महाराज ने कहा कि निर्मल जल के समान जीवन जीने वाले ब्रह्मलीन सतगुरू ईशरदास महाराज संत समाज व लाखों श्रद्धालु भक्तों के प्रेरणास्रोत थे। उन्होंने कहा कि निस्वार्थ सेवाभाव से सेवा कार्यो को संचालित करना चाहिए। मानव सेवा ईश्वर भक्ति के समान है। संत समाज सदैव ही मानव कल्याण में अपना योगदान देता चला आ रहा है। ब्रह्मलीन सतगुरू ईशरदास महाराज की प्रेरणा से संचालित किए जा रहे सेवा प्रकल्पों के माध्यम से गरीब, निसहाय, जरूरतमंदों की सेवा की जा रही है। संत इंद्रदास महाराज ने कहा कि संतो का जीवन सदैव समाज कल्याण के समर्पित रहता है। संत केवल शरीर त्यागते हैं लेकिन भक्तों पर उनका आशीर्वाद व कृपा सदैव बनी रहती है। ब्रह्मलीन सतगुरू ईशरदास महाराज ने जीवन पर्यन्त मानव कल्याण में समर्पित भावना से योगदान किया। उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए समाजोत्थान में अपना योगदान दें। इस अवसर पर अमरीक दास महाराज माधोवा वाले, सतपाल महाराज, ताराचंद महाराज, स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी संतोषानंद, महंत मोहन सिंह, संत जगजीत सिंह आदि सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष मौजूद रहे।

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