हिन्दी का सम्मान, हिन्द का सम्मानः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश: ‘जब हम अपना जीवन जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पित कर दें तब हम हिंदी प्रेमी कहला सकते हैं।’ सेठ गोविंददास जी का यह कथन हर भारतवासी को हिन्दी भाषा के प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलाता है। आज विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन की अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ‘‘हिन्दी हमारी जननी है और हिन्दी से ही हमारी पहचान भी है। हिन्दी केवल भाषा नहीं, भावों की अभिव्यक्ति है। यह मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है।’’
भारत, विविधताओं से युक्त राष्ट्र है। यहां पर अलग-अलग भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं परन्तु हिंदी तो जननी है जिसने भारत के लगभग सभी राज्यों और क्षेत्रों को जोड़ने का अनुपम कार्य किया है। हिंदी भाषा का जो स्वरूप है उसमें विकास और प्रसार की अपार संभावनाएँ हैं। अब समय आ गया है कि सभी भारतवासी हिन्दी के विराट अस्तित्व को जानें और उसे किसी भी प्रकार के भाषायी विवादों में न घसीटें। वर्तमान समय में हिंदी धीरे-धीरे देश ही नहीं बल्कि विश्व के कोने-कोने में फैल रही है और इसका प्रमुख कारण हिन्दी साहित्य, ग्रंथ, हिंदी सिनेमा, टेलीविजन तथा हमारी विविधता में एकता की संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ’किसी भी राष्ट्र की अपनी एक विशिष्ट भाषा होती है, जो वहां की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा भी होती है, जिसका प्रयोग पढ़ने, लिखने और संवाद हेतु किया जाता है और वही उस राष्ट्र की सबसे बड़ी पहचान भी है। हिंदी अपनेपन और आत्मीयता युक्त संवाद की सबसे उत्तम भाषा है। हिन्दी ने वैश्विक स्तर पर भारत को एक विशिष्ट पहचान प्रदान की है और यही भारतीयों के मध्य जुड़ाव का सबसे बेहतर माध्यम भी है। भारतेन्दु हरिशचन्द्र ने कहा है-‘‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।’’ अर्थात् भाषा ही वह माध्यम है जो किसी राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधती है और उसके द्वारा ही राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत होती है। विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर गांधी जी के कथन ‘ मैं हिंदी भाषा से और भाषाओं को नीचा नहीं दिखाना चाहता, मैं तो हिंदी भाषा को ही उन सब में मिलाना चाहता हूँ’ को  आत्मसात कर हिन्दी के पैरोकार बनें। हिन्दी का सम्मान, हिन्द का सम्मान।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *