बहिष्कार किसी भी समस्या का समाधान नहींः स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश: जनवरी माह के अन्तिम रविवार को विश्व कुष्ठ दिवस मनाया जाता है ताकि दुनिया भर में इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ायी जा सके। कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता के अभाव में इस रोग से प्रभावित लोगों को अपने ही समुदायों में हाशिए पर रखा जाता हैं जिसके कारण उनका इलाज नहीं हो पाता। कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों को कई स्थानों पर सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पडता है।
विश्व कुष्ठ रोग दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ’’हर रोग का निदान निकाला जा सकता है परन्तु बहिष्कार किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। महात्मा गांधीजी कुष्ठ रोगियों के सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ थे। उनका मानना था कि समाज में कुष्ठ रोगियों के प्रति स्नेह व सेवाभाव पूर्ण व्यवहार होना चाहिये, इसलिए तो जनवरी माह के अन्तिम रविवार को मनाया जाने वाला विश्व कुष्ठ रोग दिवस भारत में बापू की पुण्यतिथि के अवसर पर मनाया जाता है क्योंकि गांधी जी ने कुष्ठ रोग के खिलाफ एक योद्धा की तरह कार्य किया। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण सेवाग्राम में आज भी मिलता है। वहां पर बांस की बनी एक कुटिया है जिस पर पर्चुरे कुटी लिखा है जो गांधी जी के सेवाभावी हृदय और समानता के व्यवहार का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।’’
परचुरे शास्त्री संस्कृत के विद्वान थे परन्तु उन्हें कुष्ठ रोग हो गया और वे महात्मा गांधी जी के पास आश्रय हेतु आये तब बापू ने उन्हें सेवाग्राम के अपनी कुटी के पास बनी कुटी में आश्रय दिया और स्वयं उनकी नियमित सेवा और साफ-सफाई करते थे।
स्वामी जी ने कहा कि लेप्रोसी को लेकर आज भी समाज में स्टिग्मा है। कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों को सामाजिक बहिष्कार के साथ आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ता है जिसके कारण पूरा उनका पूरा परिवार प्रभावित होता है, साथ ही उन्हेें तनाव से भी गुजरना पड़ता है। ऐसे में हम सभी का कर्तव्य बनाता है कि एक स्वस्थ समाज के निर्माण में सहयोग प्रदान करें ताकि किसी भी व्यक्ति को अपना जीवन हाशिये पर रहकर समाज से अलग-थलग होकर न बिताना पड़े। हमारा प्रयास होना चाहिये कि हर परिस्थिति में सबके साथ समान व्यवहार हो और सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर प्राप्त हो सके। कुष्ठ रोग की शीघ्र जानकारी और उपचार ही इसके उन्मूलन की कुंजी है, क्योंकि कुष्ठ रोग का जल्दी पता लगाने से संक्रमण में कमी आएगी और रोग के संचारण को भी रुका जा सकता है।