प्रदेश में अगले दो हफ्तों में मानसून देगा दस्तक
देहरादून,। उत्तराखंड में अगले दो हफ्तों के भीतर मानसून दस्तक दे देगा। हालांकि, सामान्य तौर पर करीब 20 जून तक मानसून उत्तराखंड पहुंचता है, लेकिन इस बार देश में 8 दिन पहले दाखिल होने वाले मानसून का उत्तराखंड में भी पहले ही स्वागत किया जा सकेगा। खास बात यह है कि इस बार मानसून के ज्यादा समय तक रहने की संभावनाओं के बीच पिछले सालों के मुकाबले अधिक बारिश होने की उम्मीद लगाई गई है। ऐसे में खासतौर पर पर्वतीय जिलों के लिए मौसम विभाग कुछ सुझाव भी दे रहा है। उत्तराखंड के लिए मानसून सीजन बेहद चुनौती पूर्ण रहता है। इस दौरान न केवल पर्वतीय क्षेत्रों में लैंडस्लाइड की घटनाएं कई दुखदाई सूचनाएं लाती हैं बल्कि चारधाम यात्रा और पर्यटकों के लिहाज से भी यह समय काफी सचेत रहने वाला होता है। इस बार मानसून तय समय से पहले आ रहा है इसलिए जिला प्रशासन से लेकर सरकार के स्तर पर तैयारी को पहले ही पूरा करने की चुनौती है। खासतौर पर इसलिए भी क्योंकि इस बार ज्यादा बारिश होने की उम्मीद लगाई गई है।
मानसून ने केरल में 24 मई को दस्तक दी थी। सामान्य तौर पर देखें तो करीब 8 दिन पहले ही मानसून केरल पहुंच गया। उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार अब मानसून दक्षिण भारत के अलावा मध्य भारत और पूर्वाेत्तर के राज्यों तक भी पहुंच चुका है। उनका कहना है कि यदि इसी रफ्तार से मानसून आगे बढ़ा तो करीब 10 दिन में उत्तराखंड तक भी मानसून पहुंच जाएगा, जबकि इसमें कुछ धीमापन आया तो भी 15 दिनों के भीतर मानसून उत्तराखंड में दस्तक दे देगा।
मौसम विभाग की माने तो इस बाद जल्दी दस्तक देने की वजह से मानसून ज्यादा समय रहने वाला है। जाहिर है कि मानसून की समय अवधि ज्यादा रहेगी तो बारिश भी इस बार देश भर में ज्यादा देखने को मिल सकती है। उत्तराखंड में भी बारिश के अधिक रहने की उम्मीद है। मानसून सीजन के दौरान राज्य में पहले ही बारिश काफी ज्यादा होती है।
मौजूदा मई महीने में ही मानसून ने एक चिंता पैदा कर दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार मई महीने में बारिश सामान्य से कहीं ज्यादा हुई है। मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस बार उत्तराखंड में इस महीने अब तक 86 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है, जो कि अपने आप में बेहद ज्यादा है। उधर इस सीजन में हुई बारिश के रिकॉर्ड को देखें तो भी सामान्य से करीब 36 प्रतिशत तक बारिश ज्यादा हो चुकी है।
इस बार रुक रुक कर हो रही लगातार बारिश के कारण न केवल लोगों को गर्मी से राहत मिली है बल्कि गर्मियों के दौरान उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल की समस्या से भी कुछ राहत मिलती दिखाई दे रही है। तमाम जल स्रोत भी रिचार्ज हो रहे हैं। इसके अलावा सबसे बड़ी राहत जंगलों में लगने वाली आग से मिली है। इसमें भी आंकड़े बताते हैं कि इस बार जंगलों में आग की घटनाएं बेहद कम हुई हैं। यह राज्य के लिए एक बड़ी राहत की खबर है।
मई और जून के महीने में अमूमन गर्मी से लोगों को जूझना पड़ता है, लेकिन, यह ऐसा समय होता है जब खेती बाड़ी करने वाले किसान इस सीजन की फसल को लेकर काम करते हैं। इस बार बारिश के रुक-रुक कर होने से किसानों के लिए कुछ दिक्कतें जरूर सामने आई हैं। मौसम का असर फसलों पर भी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। मौसम वैज्ञानिक के कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग का मौसम पर असर पड़ रहा है। कम समय में ज्यादा बारिश होना, और कुछ स्थानों पर अधिक बारिश जबकि बाकी स्थान पर बारिश नहीं मिलना जैसी भिन्नताएं भी ग्लोबल वार्मिंग के कारण देखने को मिल रही हैं। हालांकि मौसम चक्र में बदलाव को लेकर मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह कहते हैं कि पूर्व में भी इसी तरह मानसून पहले आने की घटनाएं हो चुकी हैं, इसलिए यह कहना सही नहीं है की मौसम चक्र में बदलाव हो रहा है।