देहरादून सिटीजन फोरम भी महिला सुरक्षा के मुद्दे और एकजुटता के संदेश के साथ सड़कों पर उतरा

देहरादून। देहरादून में सतत विकास और पर्यावरण के विभिन्न मुद्दों पर काम करने वाले संगठन देहरादून सिटीजन फोरम (डीसीएफ) ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एकजुटता के साथ समर्थन देने का फैसला किया है। इस कड़ी में डीसीएफ के बैनल तले शनिवार को शहर में सैंकड़ों शहर वासियों और दर्जनों संगठनों की और से गांधी पार्क के बाहर प्रदर्शन किया गया। इस दौरान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार को डीसीएफ के 12 बिंदुओं पर महिला सुरक्षा आधारित मांग पत्र देने के बाबत जानकारी दी गयी।  
देहरादून सिटीजन फोरम ने महिला सुरक्षा को लेकर गांधीपार्क के बाहर प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। इस प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए विभिन्न संगठनों को भी आमंत्रित किया गया था। शाम को सैंकड़ों शहर वासियों और विभिन्न संगठनों के लोग गांधी पार्क के बाहर एकत्रित हुए और महिलाओं की सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी आईएसबीटी देहरादून में नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार, रुद्रप्रयाग में नर्स की हत्या और कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या और अंकिता भंडारी जैसे मामलों का विरोध कर रहे थे। इस मौके पर वक्ताओं ने महिलाओं को सुरक्षा न दिये जाने पर चिंता जताई और सरकार से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। वक्ताओं का कहना था कि अपराधियों को गिरफ्तार कर लेना तो ठीक है, लेकिन सवाल यह है कि महिलाओं के साथ इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं, आईएसबीटी जैसे सार्वजनिक स्थान पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित क्यों नहीं की जाती।
प्रदर्शन के दौरान मांग पत्र के 12 बिंदुओं की जानकारी साझा की गई । मांग पत्र में कहा गया कि भारत का संविधान हर नागरिक को आजादी की बात करता है और यह आजादी महिलाओं के लिए भी है। देश के विकास में महिलाएं भी बराबर की भागीदार रही हैं, ऐसे में महिलाओं की सुरक्षा से समझौता किसी भी हालत में संभव नहीं है। इसलिए महिलाओं सहित सभी नागरिकों के लिए भयमुक्त वातावरण बनाने की जरूरत है।
मांग पात्र में उत्तराखंड और कोलकाता की घटनाओं में शीघ्र न्याय दिलाने के साथ ही अंकिता भंडारी के मामले में भी देाषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने की बात की गई है। इसके साथ ही बलात्कार के मामलों में त्वरित सुनवाई, मिडिल स्कूल स्तर से जागरूकता सत्र, सरकारी एजेंसियों और पुलिस कर्मियों के लिए लिंग संवेदनशीलता कार्यशालायें, देहरादून में रात में पुलिस गस्त बढ़ाने, सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए स्वच्छ और सुरक्षित शौचालय बनाने, सीसीटीवी टेक्नोलॉजी का इस्तमाल, सड़कों मैं रोशनी, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम, इन मामलों में नागरिक संगठनों का सहयोग लेने, देहरादून में बढ़ती गुंडागर्दी और बेहिसाब तौर से शराब की दुकानों और पब कल्चर पर रोक लगाने जैसी मांगें की गई हैं।
संचालन सामाजिक कार्यकर्ता और भूतपूर्व बैंक यूनियन नेता जगमोहन मेहंदीरत्ता ने किया। रामिंद्री मनद्रियाल, आशा डोभाल, सरगम मेहरा, जया सिंह, कमला पंत, रंजोना बनर्जी,  लोकेश ओहरी, प्रदीप कुकरेती, आशीष गर्ग, ब्रिगेडियर केजी बहल, नवीन सदाना आदि ने महिला सुरक्षा संबधी विचार रखे। आसरा की छात्राओं ने नाटक प्रस्तुत किया। अतुल शर्मा और त्रिलोचन भट्ट ने जनगीत और सुषमा वर्मा ने कविता के माध्यम से महिलाध सुरक्षा पर उपस्थित लोगों को जागरूक किया। अनूप नौटियाल ने मांगपत्र पढ़कर सुनाया। प्रदर्शन में धाद, महिला मंच, सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून, फ्रेंड्स ऑफ दून, एको ग्रुप, मैड, एसडीसी फाउंडेशन, बीन थेइर दून दैट आदि संस्थाओं ने हिस्सा लिया। प्रदर्शन में मुख्य रूप से  डीसीएफ के कई सदस्य, अनूप नौटियाल, लोकेश ओहरी, अनीश लाल, जया सिंह, आशीष गर्ग, डॉ. अतुल शर्मा,  रामलाल भट्ट, और कई युवा, स्कूल और कॉलेज की छात्राएं मौजूद थे।

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