हर बूथ पर ‘पीडीए’ कैडर भी तैयार कर रही सपा
लखनऊ। ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) नारे के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सपा ने इसके लिए बूथ स्तर पर भी पीडीए का कैडर तैयार करना शुरू कर दिया है।
प्रत्येक बूथ पर ‘पीडीए’ के न्यूनतम 10 प्रभावशाली लोगों का कैडर बनाने का निर्णय लिया गया है। यह ऐसे लोग होंगे जिनका अपने समाज में खासा प्रभाव होगा। इनका डाटा सपा प्रदेश मुख्यालय में मौजूद रहेगा। पार्टी मिनटों में जरूरी सूचनाएं इन तक पहुंचा सकेगी।
पीडीए को बड़ा अस्त्र बनाएगी सपा
सपा इस बार के लोकसभा चुनाव में पीडीए को बड़ा अस्त्र बनाकर उतरने की तैयारी कर रही है। इसके लिए बूथ स्तर पर बड़ा नेटवर्क भी तैयार कर रही है। पार्टी ने अपने फ्रंटल संगठन को यह काम सौंपा है। इन्हें प्रत्येक बूथ पर पीडीए के अनुसार मतदाताओं का क्या समीकरण है इसका भी पता लगाना है।
इसी में से पीडीए के तहत न्यूनतम 10 ऐसे प्रभावशाली लोगों को चिह्नित करना है, जिनकी विचारधारा भी समाजवादी है। यदि किसी बूथ पर किसी एक ही जाति का दबदबा है तो उनके ही प्रभावशाली लोगों की इस सूची में शामिल किया जाएगा। पार्टी ने इसके लिए एक सॉफ्टवेयर भी बनाया है, जिसमें इनका विवरण दर्ज करना है। इसकी जानकारी पार्टी मुख्यालय पर पहुंच जाएगी।
ब्लाक इकाई की व्यवस्था बहाल
पार्टी ने एक बार फिर ब्लाक इकाई की व्यवस्था बहाल कर दी है। पिछले कई वर्षों से पार्टी में ब्लॉक अध्यक्ष व इकाई नहीं होते थे। विधानसभा अध्यक्ष ही होते थे। किंतु इस बार सपा ने फिर से ब्लॉक अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है।
मुलायम सिंह यादव के समय पार्टी में ब्लॉक अध्यक्ष संगठन के मजबूत आधार होते थे। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने बताया कि ब्लाक इकाई गठित होने से पार्टी और मजबूत होगी। उन्होंने बताया कि ज्यादातर स्थानों पर ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त किए जा चुके हैं।
निगरानी के लिए जोन प्रभारी बनाए
पार्टी ने संगठन की निगरानी के लिए जोन प्रभारी भी बनाए हैं। अभी तक पार्टी में केवल बूथ व सेक्टर प्रभारी ही अहम होते थे। 10-12 बूथ पर एक सेक्टर व सात-आठ सेक्टरों पर एक जोन बनाया गया है।
पार्टी में जोन व सेक्टर प्रभारी कितने महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा वार जब नेताओं को बुलाते हैं तो उसमें उस क्षेत्र के प्रमुख नेताओं के साथ पूर्व विधायक व पूर्व सांसद के साथ ही जोन व सेक्टर प्रभारी जरूर होते हैं। इनसे एक-एक कर अकेले में अखिलेश बात कर पूरे क्षेत्र की अंदरूनी राजनीति भी समझ लेते हैं।