लड़खड़ाती और अस्पष्ट जुबान ब्रेन डिसऑर्डर, एफेसिया के हैं लक्षण

लड़खड़ाती और अस्पष्ट जुबान ब्रेन डिसऑर्डर, एफेसिया के हैं लक्षण

लड़खड़ाती और अस्पष्ट जुबान ब्रेन डिसऑर्डर, एफेसिया के हैं लक्षण

देहरादून, आजखबर। हॉलीवुड अभिनेता ब्रूस विल्स को हाल ही में एक ऐसी बीमारी डायग्नोज हुई है जिसे एफेसिया डिसऑर्डर कहा जाता है। इस वजह से उन्होंने अभिनय के पेशे से दूर रहने का फैसला किया है जो उनके प्रशंसकों के लिए बड़ा झटका है। यह डिसऑर्डर मस्तिष्क के संज्ञानात्मक कार्यों वाले खास हिस्सों को नष्ट कर देता है जिससे जुबान/बोली के उच्चारण में आंशिक अस्पष्टता आती है। इसमें लोग अक्सर वह बात नहीं बोल पाते हैं, जो बोलना चाहते हैं या संपूर्ण वाक्य नहीं बोल पाते हैं या अनजाने में बेमतलब के शब्द बोल जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप अस्पष्ट उच्चारण करते हैं। लड़खड़ाती जुबान के कारण ऐसे लोगों को दूसरों की बात समझने में भी दिक्कत आती है या दूसरों को समझाने में दिक्कत आती है।
एफेसिया एक संज्ञानात्मक स्थिति है जो व्यक्ति की बोलने तथा मौखिक और लिखित रूप से उसे अभिव्यक्त करने की क्षमता प्रभावित करती है। यह उस डिसऑर्डर के कारण होता है जो मस्तिष्क के बोलने की क्षमता वाले हिस्से (या उनके संपर्क) को क्षतिग्रस्त कर देता है। आम तौर पर यह मस्तिष्क के बाएं हिस्से में होता है।
आईबीएस हॉस्पिटल, नई दिल्ली के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन और प्रबंध निदेशक डॉ. सचिन कंधारी बताते हैं, यह स्थिति इंजरी, ट्रॉमा या किसी अन्य चिकित्सा गड़बड़ी के कारण होती है जिससे दिमाग का एक या अधिक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है। यह सर्वविदित है कि स्ट्रोक ब्रेन इंजरी का सबसे बड़ा और मौजूं कारण है जबकि क्लॉट, रक्तनलिकाओं की टूट-फूट से भी मस्तिष्क तक रक्त आपूर्ति बाधित हो जाती है जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। ब्रेन इंजरी के अन्य कारणों में सिर में बड़ी चोट, ब्रेन ट्यूमर, गोली के जख्म, मस्तिष्क संक्रमण और अल्जाइमर रोग जैसे डिजेनरेटिव न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर शामिल हैं।
एफेसिया डिसऑर्डर के खतरनाक लक्षणों का पता तब चलता है जब पीड़ित टुकड़ों में वाक्य बोलता है, लड़खड़ाती या अपूर्ण वाक्य कहता है जिससे सुनने वालों को समझने में दिक्कत होती है। बोलने की अस्पष्टता के अलावा पीड़ितों को वाक्य या सही शब्द लिखने में भी दिक्कत आ सकती है और आम तौर पर वह ऐसे लिख बैठता है जिसका कोई मतलब समझ में नहीं आता है और उसकी वाक्य संरचना भी उलट-पुलट रहती है। ऐसी परिस्थितियों में मरीज को मस्तिष्क के और क्षतिग्रस्त होने से रोकने के लिए या भविष्य की जटिलताएं बढ़ने से रोकने के लिए तत्काल चिकित्सकीय मदद लेनी चाहिए। डॉ. सचिन कहते हैं, एफेसिया डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज समस्या का कारण जानते हुए तय किया जाता है। मसलन, जिसे स्ट्रोक अटैक, मस्तिष्क संक्रमण या डिमेंशिया हो चुका है, उसे मूल कारणों की जांच कराने की जरूरत होती है और तब सही इलाज होता है जिससे धीरेकृधीरे उसके बोलने की क्षमता स्पष्ट हो पाती है। एफेसिया रिकवरी के सभी मामलों में अच्छी स्पीच थेरापी और न्यूरो रिहैब उपचार भी महत्वपूर्ण माना जाता है। वयस्कों की तुलना में छोटे बच्चों और किशोरों में इस इलाज का बेहतर परिणाम मिलने की संभावना रहती है। एफेसिया से पीड़ित मरीजों के लक्षणों की तत्पर पहचान, शुरुआती उपचार तथा उचित चिकित्सा प्रबंधन के अलावा इलाज के बाद अच्छी काउंसिलिंग से उसे होने वाला नुकसान कम करने में मदद मिलती है और रिकवरी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

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