राम मन्दिर एवं राष्ट्र मन्दिर निर्माण की यात्रा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षरः स्वामी चिदानन्द

ऋषिकेश: स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कर्नाटक के उडुपी में स्थित पेजावर मठ के प्रमुख पेजावर स्वामी विश्वेशतीर्थ को आज उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि स्वामी विश्वेशतीर्थ अध्यात्म जगत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर और साधना व सेवा के पुंज थे। कर्नाटक प्रांत का पवित्र स्थल उडुपी जो तपस्वीयों की धरती है उस पवित्र भूमि पर स्थित पेजावर मठ में 24 नवम्बर को धर्म संसद का आयोजन किया गया था जिसमें स्वामी विश्वेशतीर्थ से भेटवार्ता हुई थी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि गोलोकवासी ब्रह्मलीन प्रमुख पेजावर स्वामी विश्वेशतीर्थ जी ऐेेसे व्यक्तित्व थे जो लोगों के मन को बदलते थे, वे केवल मंच से उपदेश ही नहीं देते थे बल्कि जनसमुदाय के मनों कोय दिलों को बदलते थे। सूर्य सा तेज, तपस्पी और मनस्वी स्वामी विश्वेशतीर्थ ने राम मन्दिर से राष्ट्र मन्दिर निर्माण की यात्रा में अद्भुत योगदान दिया। वे इस यात्रा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर थे। ऐसे ही तपोनिष्ठ महापुरूषों के कारण आज भारत जीवंत है, भारत की संस्कृति जीवंत है और हमारा धर्म जिंदा है। जब तक इन तपस्वीयों केय महापुरूषों के विचार और आशीर्वाद भारत के साथ है तब तक हमारी परम्परायें, हमारे संस्कार और हमारी संस्कृति जिंदा है। स्वामी ने कहा कि प्रमुख पेजावर स्वामी विश्वेशतीर्थ जी एक ऐसे महापुरूष थे जिन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिये अपने जीवन को ही यज्ञ बना लिया था। राष्ट्र निर्माण हेतु उन्होंने अपने जीवन की आहुति समर्पित कर दी। अपना पूरा जीवन उन्होंने उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम की संस्कृतियों के समन्वय हेतु समर्पित कर दिया। वे एक सेतु की तरह थे, उन्होंने दिलों से दिलों को जोड़ते हुये सद्भावना की मिशाल कायम की। भारत, चलता-फिरता और जीता जागता राष्ट्र मन्दिर है जो कि हमारी गौरवशाली संस्कृति और पूज्य संतों के आशीर्वाद से हमेशा बना रहेगा। पुनः ब्रह्मलीन प्रमुख पेजावर स्वामी विश्वेशतीर्थ जी महाराज को भावभीनी श्रद्धांजलि।

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