मरीज के दिमाग में खून के 400 छोटे क्लॉट्स थे
देहरादून: भारत मंे पोस्ट-कोविड एनसेफेलाइटिस के लिए दर्ज किए गए पहले मामले में जम्मू से आए 55वर्षीय मिथिलेश लम्बू्र में एक्यूट हेमरेजिक ल्यूको एनसेफेलाइटिस का निदान किया गया। एनसेफेलाइटिस एक न्यूरोलोजिकल विकार है, जो वायरस के कारण होता है, यह इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर दिमाग में सूजन पैदा करता है।
श्री लम्बू्र को हल्के लक्षणों वाला कोविड-19 हुआ था, जिसके बाद वे घर में ही क्वारंटाईन हो गए। हालांकि उनकी हालत बिगड़ती गई और उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी। उन्हें तुरन्त जम्मू के एक अस्पताल में भर्ती किया गया। निदान से पता चलता कि कोविड-19 के कारण उनके फेफड़ों में निमोनिया हो गया है और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया। डॉक्टर उनके इलाज का सही तरीका तय नहीं कर पा रहे थे, मरीज को अन्य कई बीमारियां भी थीं जैसे डायबिटीज और हाइपरटेंशन। इसलिए स्थानीय डॉक्टरों की टीम ने इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स, नई दिल्ली के विशेषज्ञों को फोन किया।
24 घण्टों के भीतर डॉ मुकेश गोयल, सीनियर कन्सलटेन्ट, कार्डियो थोरेसिक सर्जन, डॉ देवजीवन, सीनियर इन्टेन्सिविस्ट, डॉ प्रियदर्शिनी पाल, हैड ऑफ एमरजेन्सी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स तथा एक परफ्यूशनिस्ट (एक स्वास्थ्य सेवा पेशेवर जो ईसीएमओ मशीन का संचालन करता है) और एक नर्सिंग असिस्टेन्ट की टीम बनाई गई। टीम तुरंत जम्मू पहुंची, सबसे पहले मरीज के ऑक्सीजन वेंटीलेशन को स्टेबल किया गया। इसके बाद मरीज को एयर एम्बुलेन्स से दिल्ली लाया गया, जहां आगे जांच कर तुरंत इलाज शुरू किया गया। इलाज में थोड़ी सी भी देरी मरीज के लिए जानलेवा हो सकती थी। उन्हें डॉ राजेश चावला, सीनियर कन्सलटेन्ट, पल्मोनोलोजी एण्ड रेस्पीरेटरी डिजीज के नेतृत्व में 1 दिसम्बर 2020 को इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स में भर्ती किया गया।
डॉ राजेश चावला, सीनियर कन्सलटेन्ट, पल्मोनोलोजी एण्ड रेस्पीरेटरी डिजीज ने कहा, ‘‘जब टीम जम्मू पहुंची, मरीज की हालत बहुत खराब थी, मरीज के फेफड़ों पर निमोनिया का असर बहुत ज्यादा था, फेफड़ों के ठीक से काम न कर पाने के कारण ईसीएमओ सपोर्ट के साथ भी उनके लिए यात्रा करना नामुमकिन था। इसलिए हमने सबसे पहले उन्हें स्टेबल किया, ताकि उन्हें एयर एम्बुलेन्स से दिल्ली लाया जा सके। अपोलो में उन्हें कोविड आईसीयू वार्ड में भर्ती किया गया, उनकी स्थिति पर पूरी निगरानी रखी गई। 2 दिन के अंदर ही कोविड निमोनिया के लक्षण ठीक होने लगे और उन्हें वेंटीलेटर से हटा लिया गया। लेकिन इसके बाद दिमाग पर असर होने के कारण वे गहरे कोमा में चले गए।’’
डॉ विनीत सूरी, सीनियर कन्सलटेन्ट, न्यूरोसाइन्सेज, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स ने कहा, ‘‘आमतौर पर जब कोविड निमोनिया से ठीक होने वाले मरीज को सीडेशन या मसल रिलेक्सेन्ट (वंेटीलेटर पर रखने के बाद) से हटाया जाता है, तो कुछ ही घण्टे के अंदर मरीज को होश आ जाता है, लेकिन श्री लम्बू्र के मामले में ऐसा नहीं हुआ। उनकी एमआरआई करने पर पता चला कि उनके दिमाग में 400 से ज्यादा छोटे ब्लड क्लॉटस हो गए थे। दुनिया भर में इस स्थिति को कोविड एनसेफेलाइटिस (एक्यूट हेमरेजिक ल्युको एनसेफेलाइटिस) का नाम दिया गया है। किस्मत से, हमने समय पर उनकी इस बीमारी का निदान कर लिया और उन्हें इम्यून थेरेपी और स्टेरॉयड दिए गए, जिससे मरीज की हालत में सुधार होने लगा और 7 दिनों के अंदर मरीज पूरी तरह से होश में आ गया। हालांकि उनके हाथ-पैरांे में अभी भी कमजोरी है। एमआरआई से पता चला है कि वे 50 फीसदी से ज्यादा ठीक हो गए हैं और फिर 26 दिसम्बर को उन्हें छुट्टी दे दी गई।’’
एनसेफेलाइटिस के कारण दिमाग में सूजन आ जाती है और मरीज को मिर्गी जैसे दौरे, बुखार और सिरदर्द जैसे लक्षण होने लगते हैं। कोविड-19 के कारण एनसेफेलाइटिस के बहुत कम मामले देखे गए हैं, दुनिया भर में ऐसे बहुत कम मामले दर्ज किए गए हैं। वास्तव में दिमाग पर वायरस का हमला नहीं होता बल्कि वायरस की प्रतिक्रिया में इम्यून सिस्टम कुछ इस तरह काम करने लगता है कि दिमाग में सूजन आ जाती है।